हमर 36 गढ के मा गांव जंवारा बैठाए हे जौन हा मानता माने रिहिस तौन हा, संझा के सेवा वाला मन के मांदर अउ झान्झ मंजीरा बाजथे त बड़ सुग्घर लागथे। जैइसन जैइसन ताल के गति बाढते तैसन तैसन गोड़ हां नाचे ला घरथे, अउ गोड़ के नाचे के गति हां घला बाढ जाथे।संगी हो आज आप मन बर माता सेवा के एक ठीक गीत ला प्रस्तुत करत हंव्। ये दे गीत ला हमर गांव के सेऊक मन गाथे, कोन लिखे हे तेला मै हां नइ जानव।
चंडी कहिथे, दुर्गा कहिथे, शीतला कहिथे ओSSSSS
कोनो तोला काली, बमलाई महमाई कहिथे ओSSSSS
हाथ जोड़ के बिनती करत हे,लागौं तोर पैंया ओ दाई
नर मुंडन के माला पहिरे,आदि शक्ति मैया ओ दाई,
जय अम्बे, अम्बिका भवानी, शक्ति कहिथे ओSSSS
कलकत्ता के काली माई, डोंगरगढ के बम्लाई ओSSS
कवर्धा मे विन्ध्यवासिनी,गंडई के गंगाई ओSSSSS
सतयुग,त्रेता, द्वापर,कलयुग,नाम अनेक धराए,
पापी मन के नास करे तैं,भक्तन के लाज बचाए
बीना बजैया, विद्या देवैया, सरस्वती कहिथे ओSSSS
चंडी कहिथे, दुर्गा कहिथे, शीतला कहिथे ओSSSSS
ललित शर्मा
11 Comments:
बहुतेच् सुन्दर सेवागीत हे महराज!
भाषा तो मैं नहीं जानती पर शब्दों का चुनाव इतना अच्छा है कि सहज ही समझ गयी !!
बहुत सुंदर गीत !!
अति सुन्दर गीत्!!
अभी अभी किसी से खबर मिली है कि जिन लोगों नें एक दर्जन से ऊपर ब्लाग बना रखे हैं, गूगल उन लोगों पर 500/-मासिक (प्रति ब्लाग) के हिसाब से टैक्स लगाने जा रहा है। सोचा कि आपको बताता चलूँ.....
@ वत्स जी,
जानकारी के धन्यवाद।
kamal ki rachna............
agar main bhaashaa ko poori tarah samajhta to aur bhi aanand aata ..
badhai !
ये वत्स जी क्या जानकारी दे गये..यही फायदा है भविष्य़ में देखने की विद्या जानने का. :)
@उड़न तश्तरी,
वत्स जी-आगम सोधा हैं:)
जस गीत माँ की भक्ति ही है
माँ के प्रति हम जसगीत गाकर ही कृतज्ञता अर्पित कर सकते है
जय माता रानी की जय
llit bhai dhrohr ko shejna bhi bhut bdi seva hai is ke liye aap bdhai ke ptr hai
shkti ki upasna bhrt ki prmpra rhi hai prntu vrtman me ise ke sthan pr kevl love story ko hi sb aur shor mcha 2 kr sthapit kiya ja rha hai is ke sath hi shkti upasna ka swroop bhi bdl rha hai is aur bhi aap likhen
dr. ved vyathit
जय हो दुर्गा दाई................
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