रविवार, 20 सितंबर 2009

जय जय ३६ गढ़ महतारी


                        जय जय ३६ गढ़ महतारी
रिता होगे धान कटोरा
जुच्छा पर गे थारी
फिरतु हाँ फिलिप होगे
हवय बड़ लाचारी
ओखर घर चुरत हे बरा,सोहारी
मोर घर माँ जुच्छा थारी


जय जय ३६ गढ़ महतारी

खेत खार बेचे के फैले हे महामारी
लुट-लुट के नगरा कर दिस
नेता अऊ बेपारी
गंवईहा माते हे दारू मा
बेचावत हे लोटा थारी
जय जय ३६ गढ़ महतारी
रिता होगे धान कटोरा
जुच्छा पर गे थारी

मोर मन के पीरा ला
कैसे मै सुनावँव
चारों मुडा लुट मचे हे महतारी
तोलो कैसे मै बचावँव
मोर जियरा जरत हे भरी
जय जय ३६ गढ़ महतारी
रिता होगे धान कटोरा
जुच्छा पर गे थारी

आपके संगवारी
ललित शर्मा 


1 Comment:

सूर्यकान्त गुप्ता said...

मन मसोस के हम रहि जाथन
कटकटा के दांत बजाथन
काला देवन गारी
का करे जाये ये तही बताबे
मोर छत्तीसगढ़ महतारी
बहुत बढ़िया लिखे हव आप
महू थोरकन चार लाइन जोरे के दुस्साहस कर दारेवं

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