tag:blogger.com,1999:blog-6268630401467919394.post4496099025209323107..comments2023-06-24T19:52:51.608+05:30Comments on अड़हा के गोठ: जइसन के मालिक लिये दिये, तइसनेच देबो असीसब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6268630401467919394.post-53655550855219445812009-10-19T17:04:39.477+05:302009-10-19T17:04:39.477+05:30ये दे अईसनेच बर सियान मन के असीस हा लागथे, तेखरे स...ये दे अईसनेच बर सियान मन के असीस हा लागथे, तेखरे सेती सुरहु्ती मा पैलगी करके आये रेहेवं,सुधारे ला लागही काबर के "अड़हा तांव" गलती हो जथे, बने आवत रहु,आपके अगोरा रिही,ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6268630401467919394.post-5776963249309830752009-10-19T16:53:00.002+05:302009-10-19T16:53:00.002+05:30बने बात गोठियाये हस संगी! फेर थोकुन गड़बड़ असन लागत ...बने बात गोठियाये हस संगी! फेर थोकुन गड़बड़ असन लागत हे मोला, <b>"जईसन तोर लीयेन-दियेन वईसे देबो असीस,"</b> के जघा कहूँ <b>"जइसन के मालिक लिये दिये, तइसनेच देबो असीस"</b> तो नई हे?<br /><br />फेर अइसे मत समझ लेबे के तोर गलती निकालत हौं मैंहा, मैं जइसन जानत रेहेंव वइसनेच ला बता दियेव भाई।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.com